मैने ही ली है तस्वीर |
सपनों का एक थान लत्ता..
तुम क्या उससे मेरा कफ़न
सिलवाओगे..
देखो ये तुम्हारी औरत जो
बात मान लेती है..
तो वो मानती चली जाती है...
दुनियाभर की औरतें ऐसे ही
मानते हुए जीती हैं..
तुम पहले नहीं हो जो पगार
पर पलेगा..
तुम्हे क्या राशन खरीदना पसंद
नहीं..
तुम्हारी बीवी तुम्हारे
बच्चों को होमवर्क करा रही होगी..
ये सोचकर तुम्हें तड़प
मिलती होगी शायद..
तेरे सपने भनपना रहे हैं...
चल नालायक तू सपने देखता
है..
दुत्कारा जाता है सपनों का
आखेटक..
ख्वाब से रोटी
नहीं..कौड़िया मिलती हैं..
जिनसे नहीं मिलती कोई साड़ी
तेरी पत्नी की..
बिन इलायची की चाय ना पिला
पाया मेहमान को तो सपने बे-औकात..
मुजरे देखने वाले भी तो पले
थे किसी औरत के दूध पर..
रंडियां भी तो घूम रही
है..तुम वैसा कुछ क्यों नहीं करते...
तुम्हे किसने कहा था कि
गोवर्धन पर्वत उठा लो..
सुनो,,,नया पाप करके सब
पुरानी गंगा ही नहातें हैं..
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