यारा..मेरी रातें ख़र्च हुई
हैं तुम्हारी यादों में...
उनका मुआवज़ा दे दो तो मैं
अभी किसी भी रास्ते चला जाउं..
तुम पर लाल स्वेटर अच्छा
लगता है मैं बताना भूल गया था...
तुम्हारे हथेलियों पर उस
लाल स्वेटर का किनारा..
उसका स्पर्श मुझे आजतक याद
है..
उस दिन तुम्हारा हाथ पकड़ा
था तो स्वेटर का अहसास भी पकड़ में आया...
वो एहसास तो अब भी पकड़ में
हैं
बस तुम्हारा हाथ जिसमें मेरे
लिए बहुत सारा साथ था वो रेत बना था शायद..
यारा...कभी कभी मुझे सांस
लेने में तकलीफ होती है..
कुछ गाने हैं जिन्हें सुनना
भी पसंद नही..
तुम किसी अच्छे डॉक्टर को
जानती थी शायद...
उस रात जब ज़हर मेरे अंदर
जी रहा था..
तो भागती हुई उसी डॉक्टर को
लेकर आयी थी..
और फिर उस दिन के बाद वो
डॉक्टर और तुम फिर कभी ना आये..
तुम दोनो ने मिलकर ज़हर की
हत्या कर दी थी..
यारा...तुम जब मेरे बगल में
किसी दिन फर्श पर लेटी थी..
और कुछ ठंडी कहानियां मेरी
पीठ और फर्श के बीच दुबकी थीं..
मुझे पता है तुम मेरे बगल में लेटी उस किसी
दिन सुनहरे कल के गर्म सपने सेंक रही थी..
इन तपते ख्वाबों से मेरे
हाथ जल जाते हैं यारा..
मेरी मां भी तो तपते सपनों
में जी कर आयी थी..
इसिलिए वो तुम्हे पसंद भी
बहुत किया करती..
और तुम तो उसे दुत्कारती
जैसे वो गर्म सपने चुरा लेगी तुमसे..
मेरी मां चोर नहीं थी
यारा...
उसका हाथ तो हमेशा ठंडा
रहता था..
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