Saturday, March 27, 2010

सियासत में दौरे मनमानी..या मनमानी का दौरा??


बड़ा अजीब है ये सब कुछ जो हो रहा है यहाँ? यहाँ मतलब देश के सियासी दड़बे में जो कुछ हो रहा है उसकी बात कर रहा हूँ दड़बा कहना ही ज्यादा उचित लगा क्यूंकि इससे ज्यादा का हकदार ही नही है आजकल के सियासी किस्सों का मंच..जमकर मनमर्ज़ी हो रही है कहने को जनता की नुमाईंदगी करनी है इन्हें लेकिन अपने ही अफ़सानो से ही फ़ुरसत नही है तो "जनता मेरी जान" को जानने की क्या ज़रूरत? दरअसल political bankruptcy अब बचपना छोड़ जवानी की चौखट पे तांडव कर रही है एक तरफ मायावती को "मालावती" बनने से परहेज़ नही है तो वहीँ सपा के शेर मुलायम सिंह यादव को महिलाओं पे की गयी अपनी सोची-समझी टिप्पणी पे गुमान है ऐसा नही है कि हमारे सियासत के शाहजहाँ ऐसा सूरमाओं वाला कारनामा पहले नही करते थे..लेकिन तब में और फ़िलहाल में फर्क बस इतना है कि पहले ये सब कभी-कभी लीप ईयर जैसा होता था और आजकल हमारे ये शाहजहाँ ताजमहल बनवाने से भी ज्यादा खासुसियत वाला शग़ल रोजाना करना पसंद करते हैं अब ये आप तय कीजिए कि हमारे ये सियासत के सूरमा दौरे मनमानी में हैं या फिर इन्हें मनमानी का दौरा चढ़ा है?

2 comments:

  1. bahut badhiya hai mere heere do char night aur lagva lo writing me aur nikhar aa jayega ...alok etv

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राय ज़ाहिर करने की चीज़ है..छुपाने की नहीं..