आज जब सभी देश संस्कृति के संरक्षण क के साथ ग्लोबलाइजेशन की आँधी को रोकने और उसके सकारात्मक पहलुओं को अपनाने में लगे हुए हैं..वहीँ भारत एक ऐसे देश क रूप में अपनी पहचानबना रहा है जो अपनी ही संस्कृति की कब्रगाह पर तरक्की का शीशमहल बनानेमें व्यस्त है। आख़िर ये ग्लोबलाइजेशन चीज़ क्या है जिसकी अंधी दौड़ में सभी विकासशील देश ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगे हुए हैं? वास्तव में ग्लोबलाइजेशन वह स्थिति है जो संपूर्ण विश्व को एक गाँव की मानिंद बना कर एक ऐसी अवस्था में पहुँचा देती है जहाँ सभी देश अन्य देशों में अपनी आर्थिक और सामाजिक बातों को थोपने में लगे रहते हैं। इस परिभाषा के आधार पर ये एक प्रतियोगिता जैसा लगता है जो कहीं से भी बुरा प्रतीत नही होता..किंतु जब कोई देश अपनी मूल संस्कृति से छेड़छाड़ करके इस युग में अपनी पहचान बनाने लगे तो ये कतई भी सही नही! संस्कृति से छेड़छाड़ को अगर और व्यापक रूप में देखें तो मेट्रो सिटीज़ जैसे दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु आदि शहरों में जिस तरह से मल्टीनेशनल्स कम्पनियों के दरवाज़े खुले हैं वो इस दिशा में युवाओं के मन मस्तिष्क ज्यादा गहरा असर कर रहे हैं। आज का युवा आत्मनिर्भर बनने की चाह में जल्दी से जल्दी नौकरी या किसी अन्य व्यवसाय से जुड़ जाने को तत्पर रहता है..ये तत्परता ही उसके लिए घातकतब बन जाती है जब कच्चे अनुभव पर भौतिकता असर कर जाती है। तब वो एक उत्पाद बन कर रह जाता है और उपभोक्तावादी समाज में उसकी ऊंची से ऊंची बोली लगायी जाती है। इस नीलामी को वो अपना महत्व मानकर सदैव बिकता रहता है और अपने ही शोषण पर संतुष्टि प्रकट करता रहता है।
Aapke saath poorn taya sahmat hun...ham hamare kareegaronko ya kisanon ko marta chhod, globalisation kee or nahee badh sakte..!
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आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
अपने ही शोषण पर संतुष्टि पर एक वैचारिक आलेख ज़रूरी था. आपने अपना यह वैचारिक कार्य कर दिया है. अब लोगो को सोचना चाहिये.
ReplyDeleteचिन्तनपरक लेख
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर !
आभार एवं शुभकामनाएं !!
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
हिम्मती और वाजिबें चीज़ें कहीं हैं आपने! यह सोचनीय है.
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अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]