Thursday, March 4, 2010

इंसान के सपनो के नीयत की दुनिया...


१९५७ में लेजेंड्रीं फिल्ममेकर गुरुदत्त ने एक फिल्म बनाई "प्यासा"...फिल्म नहीं चली क्यूंकि न तो भारतीय दर्शकों और ना ही भारतीय सिनेमा को आदत थी इतनी सच्ची फिल्म को पचाने की..इस फिल्म का ज़िक्र मैंने यहाँ इसलिए किया क्यूंकि जिस विषय की मैं यहाँ बात करने जा रहा हूँ उसका शीर्षक मैंने इसी फिल्म के बेहद ऑनेस्ट गीत से प्रेरित हो कर रखा है...गीत है..."ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है"....आज हम खुद की ख्वाहिशों में इतने उलझ गए हैं की सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ अपने सतरंगी ख्वाबों को ही दखल देने की इजाज़त देते हैं...वजह हमारा आस-पास से वो अलगाव है जिसे हम जुड़ाव की ज़मीन देने से हिचकते हैं..ये कटाव इसलिए भी है क्यूंकि किसी के लिए कुछ करने का जोखिम उठाने की हिम्मत हम नहीं सकते और अगर कहीं से ये जज़्बा हमारे अन्दर पनप भी गया तो मौका आने पर हम अपने परोपकार को जताने से भी नहीं चूकेंगे...क्यूंकि ये हमारी फ़ितरत में शामिल है साहब..लेकिन अगर सपनो की नीयत सच्ची हो तो यक़ीन मानिये कुछ लोग ऐसी नेक नीयत लिए ऐसे भी मिलेंगे जो खुद बिना किसी शोर-शराबे के ऐसी कोई राह दिखा देते हैं जिन्हें हम हमेशा कठिन समझ कर या तो उस राह पर जाने से कतराते हैं या फिर पहल कैसे की जाये इस उधेड़बुन में उलझे रहते हैं...मुझे भी कुछ ऐसे ही दोस्त मिले इस अजनबी शहर हैदराबाद में...जिन्होंने होली से ठीक एक दिन पहले यानि की २८ फरवरी को मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों की देखभाल करने वाली एक संस्था में अपने दोस्त का जन्मदिन मनाया..यहाँ बताना ज़रूरी है की मेरे ये सारे नेकदिल दोस्त ऐसे घरों से ताल्लुक़ रखते हैं जहाँ इन्हें कोई तक़लीफ़ नहीं है और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है की ना ही इनसे कभी ये कहा गया होगा की बच्चो जाओ और समाज के दुःख-दर्द दूर करो..लेकिन इन्होने वो सब कुछ किया जिन पर इनके माँ-बाप के साथ मुझे भी फ़क्र है..ये बच्चों के साथ खाए, खेले और उनके क़रीब रहकर उनका हर वो एहसास साझा किया जो उस संस्था ने अब तक के अपने सफ़र में कहीं नहीं पाया...संस्था की निदेशिका शांति वेंकट से जब मैंने बात की तो उनका कहना था के उनकी ज़िन्दगी का मक़सद इन बच्चों की सेवा करना है...और वो खुद हैरान थी के जो बच्चे अपने घरों में ज़मीन में कभी बैठते तक नहीं होंगे और जिन्हें धूल-मिट्टी से हमेशा बचाया गया होगा वो बच्चे आज इन "स्पेशल बच्चों" की ख़ातिरदारी में अपने ज़िन्दगी जीने की अदा भूल गए थे...राज, छोटी बाबु, स्नेह और ममता ये मेरे उन दोस्तों के नाम हैं जिन्होंने मुझे बहूत कुछ सिखाया है..इसके अलावा भी कार्तिक, रेनू और राज के उन सभी दोस्तों का मै शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने इस नेक काम में अपनी मौजूदगी से बच्चों के चेहरों पर मुस्कान ला दी..अपने ब्लॉग में मैंने अब तक थोड़ा बहुत जो कुछ भी लिखा है उसका इरादा हमेशा अपनी खबरों की समझ और सोच को ही आयाम देना रहा है..लेकिन ये पहली बार है जब मै कुछ ऐसा अनुभव बाँट रहा हूँ जिसने जिंदगी को देखने-समझने के मेरे नज़रिये को ही बदल रख दिया है...मुझे अब ज़िन्दगी का उद्देश्य बदलने की ज़रूरत महसूस हुई है..मै ये नहीं जानता की जो कुछ सोचा है वो सब मूर्त रूप ले पायेगा के नही लेकिन मै इस बात से वाकिफ़ हूँ कि मै अपने अब तक के सफ़र में इतना परेशाँ हाल कभी नहीं रहा...खैर खुद से कुछ वादे किये हैं और उम्मीद भी कायम है के मेरे वादों के जाल में मेरी वो नयी दुनिया जिसका ख्वाब अब मुझे जागते-सोते आने लगा है...उसमे वो सब कुछ समा जायेगा जिससे मै अपने आपको संतुष्ट कर सकूँ...मेरे ब्लॉग की दुनिया के मित्रों..उम्मीद रहेगी के आप सब, मेरी और मेरे इन नेक नीयत के दोस्तों की हौसलाअफजाई ज़रूर करेंगे...

5 comments:

  1. first of all yr
    itne shud hindi to me nahi likh sakta but
    genuinely hats-off to you & to all ur frnds who contributed their efforts in this generous endeavour.
    aisa to kafi baar suna hai k celebrity is tarh ka kadam uthate hai par jab aaj padha k mera "dost" aisa kar raha hai to laga ke haa koi hai..................................


    sach me
    koi hai.........................

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  2. Bahut sahi kaha prashant:

    Yeh Mehlon, Yeh Takhton, Yeh Taajon Ki Duniya,
    Yeh Insaan Ke Dushman Samaajon Ki Duniya,
    Yeh Daulat Ke Bhookhey Rawajon Ki Duniya,
    Yeh Duniya Agar Mil Bhi Jaye To Kya Hai.

    mujhe lagta hai ki mujhse zyada khushnasib koi nahi hoga jo mujhe aise dost mile, jinhone mera janamdin aisa manana chaha jise soch kar me sari zindagi khush rahungi.
    un "special bachhon" ke saath waqt guzarna sach me bahut hi acha anubhav raha aur me ye manti hun ki ye anubhav sirf ek din tak hi simit na rahe.
    main bas yehi kehna chahungi ki agr khuda ne hume itni khusnasibi se nawaza hai humare doston ke roop me, to hume hamesha use apni achi soch aur karmon se shukriya kehna chahiye.

    aur aapki is nayi duniya aur un sapno ko pura karne me hum aapke saath hai.

    Sneh, Raj

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  3. शुक्रिया पंकज, राज और स्नेह आप सबका...शुक्रिया इस बात का कि मेरी इस प्यासे गीतों की गंगा को आप लोगों ने नया रूख़ दिया...हर मोड़ पे मैंने ख़ुद को अकेला पाया और शायद इसलिए मन में ऐसी ख्वाहिशों का सैलाब लिए हुए भी एक राह की आस में बैठ जाता था...अब इन तेज़ क़दमों को रुकने नहीं देना है दोस्तों...तुम भी चलो..हम भी चलें..ये रास्ता मंजिल से पहले छोड़ना नहीं...
    प्रशान्त "प्रखर"

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  4. bachho aap sabhi ki bahut he achhi soch hai agar aap sabhi is par amal kro to varna keval sochne ya likh bhar dene se he kam nahi chal sakta hai. Agar jeevan me kisi ek jeevan ko bhi achhi rah dikha sako to khuda bhi tumhare sath hoga.

    god bless all of U

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  5. Thnx rajesh ji..We'll put our best effort..Aapki hauslaafzayi se sambal mila..

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