Tuesday, May 25, 2010

ज़रूरत है..ज़रूरत है..ज़रूरत है..


सियासी अफ़रा-तफ़री अब अपने यौवनकाल मे है..छोड़ो कल की बातें, कल की रूत थी पुरानी..कुछ इसी तरह की न्यूली राजनीति के शोमैन बने हैं देश की सियासी मिट्टी के मनमौजी मेनस्ट्रीम के नेता।एक तरफ़ झारखण्ड के झगड़े की वजह से प्रांत के लोग और विकास अब क़िस्से कहानी हो गये हैं तो दूसरी तरफ मायावती जो कि .प्र की मैडम बनी बैठी हैं, खुद ये ऐलान करने मे फ़क्र से फूली जा रही हैं कि उन्होने जो करोड़ो रूपयों का क़िला खड़ा किया है वो सब जनता के चंदो का कमाल है। ख़ैर इनसब पर बहस करके पूरा न्याय करेंगे लेकिन एक और तमाशे को अपनी टोकरी मे शामिल कर लें फिर बात बनेगी..समाजवादी पार्टी ने भी कम नौटंकी नही की है हाल फ़िलहाल..पहले जयाबच्चन को राज्यसभा का टिकट देकर अमर सिंह को उन्ही के अन्दाज़ मे जवाब दिया फिर पता नही जया भाभी को कौन से ज़रूरी काम याद गये के उन्होने टिकट लेने से इन्कार कर दिया..अमर गदगद हो गये और सपा के साहब मुलायम को मलाल रह गया कि वो एक मौका चूक गये अमर को असरदार तरीक़े से रिप्लाई देने मे..दरअसल मुलायम सिंह को ये बात निगली ही नही जाती कि बच्चन कुनबे का पिकनिक होम अमर सिंह के आसपास भी हो।इसलिए इस बार भी जया को अपनी जमात मे शामिल करके अमर सिंह के माथे पर शिकन की अनगिनत लक़ीरें देखने के ख्वाहिशमंद थे पर अफ़सोस पलक झपकते ही उनकी ये इच्छा ख़्वाब हो गई..वैसे जहां सपा जया मैडम की वजह से सुर्ख़ियों मे रही तो वहीं उ.प्र. की एक और पार्टी है जो हमेशा की तरह इस बार भी सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी मैडम मायावती के कारण फ़ोकसियाए जा रही है..इस बार बसपा की बाप बनी मायावती दलित की बेटी से दौलत की देवी बनने का ऐलान कर चुकी हैं..बहनजी ने विधान परिषद के नामांकन दाख़िले के मौके पर जो हलफ़नामा पेश किया उसमे उनकी चल-अचल संपत्ति की हद 88 करोड़ की लाईन को पार कर चैंपियन बन बन गई है..सबसे लाजवाब बात तो ये है कि माया मैडम एक मंच से अपने बोलवचनो में कहतीं है कि पैसों का ये पैलेस जनता के चंदों की वजह से है।वो सिर्फ़ यहीं नहीं रूकतीं, कहती हैं कि इतना पैसा इसलिए इकट्ठा किया है ताकि देश की अन्य दौलती पार्टी से मुक़ाबला कर सकें..वाह जी वाह, कोई मैडम को ये क्यूं नही बताता कि आजकल की सियासत के लिए दौलत एक ज़रूरी शर्त बेशक़ है लेकिन यहां उस दौलत का इस्तेमाल आपकी सियासी गाड़ी के ईंधन के रूप मे कम और स्वयं के ऐश-ओ-आराम के साज़ो-सामान मे ज़्यादा हो रहा है। ख़ैर देवता हमेशा गुरूर को सिर कुचल देते हैं इसलिए विश्वास है कि ये ज़रूरत की सियासत एक ना एक दिन इन सारे बेईमान खिलाड़ियों को एक मजबूर मज़दूर बनाके ही छोड़ेगी।

1 comment:

राय ज़ाहिर करने की चीज़ है..छुपाने की नहीं..